बावड़ी का मार्ग हो गया सकड़ा, भक्तों को होती है परेशानी-वज़ीरपुर
वजीरपुर, कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य चिकित्सालय मार्ग में स्थित प्राचीन बावड़ी का मार्ग राजनैतिक, सामाजिक और ग्राम पंचायत प्रशासन की की अनदेखी के चलते अतिक्रमण करने वालों में आम रास्ते को गली बनाकर रख दिया। इससे भक्तों को आवागमन में काफी परेशानी होती है। कस्बे के मुरारी पटेल ने बताया कि बावड़ी बहुत पुरानी है। इसके नाम जमीन थी, जो मुनीमो के अधीन थी। लोग इसमें आने जाने से ड़रते थे। इसमें जिन्द का स्थान है।जिसकी सेवा पूजा गश्ती पुरा का व्यक्ति करता था
उसके मरने के बाद यहां पर भक्तों का आना बंद हो गया। पास में ही फिसलनी मुनीमों के बांग के दरवाजे पर बनी हुई थी। करीब चालीस वर्ष पहले सेवा गिरी संत आकर यहां पर रूके। उन्होंने यहां पर रहना शुरू किया। तब लोगों का धीरे धीरे आना हुआ उनके काम भी होने से भक्तों की भीड़ लगी।
कस्बे के मुकेश अग्रवाल ने बताया कि चार सौ वर्ष पहले बनी बावड़ी का जीर्णोद्धार करीब दस वर्ष पहले किया गया था। भक्तों ने मिलकर इस स्थान की रंगाई पुताई करवाकर बावड़ी को सुन्दर बना दिया। अब प्रत्येक गुरुवार को यहां पर भक्तों का आगमन रहता है। यहां पर भक्त कोटा, बूंदी, अजमेर, हिंडौनसिटी, गंगापुर सिटी और पीलौदा के भक्त जन आते हैं। अपनी समस्या रखतें हैं। उनका निराकरण होने पर सवामनी का आयोजन किया जाता है। इससे पहले यह जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ी होने और रास्ते पर पक्का निर्माण करने से आम रास्ते को गली बना दिया , लेकिन पुलिस , राजस्व व पंचायत प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया । जिसके कारण बावड़ी का मार्ग अवरूद्ध हो गया।
इधर बुजुर्ग लोगों ने बताया कि इसका निर्माण 1662 ईस्वी में हुआ था । जिसका बीजक आज भी खम्भे पर अंकित है। कहते हैं कि यहां पर भक्तों की भारी भीड़ जमा हुआ करती थी। लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती थी। इस बावड़ी में जिन्द और भोमिया बाबा का स्थान है । इसके गोठिया हुआ करते थे । जिन्होने लोगों की समस्याओं का समाधान किया। गांव और आस पास के इलाके के लोगों की समस्याओं का निराकरण किया करते थे। एक बार बरसात नही हुई तो भोमिया बाबा से भक्तों ने प्रार्थना की। उसी दिन दोपहर में ही जोरदार बरसात हुई। एक बार इमली के पेड़ से जिन्द ने अंगूर की बरसात कर देने से लोगों की आस्था बढ गई। लोगों की समस्या भी दूर होने लगी। धीरे धीरे यहां लोगों का रहना शुरू हुआ। अनेक संत भी रहे। जिन्होंने लोगों के काम किए। गोठिया अपने पथ से गिर जाने पर जिन्द का आना बंद हो गया। लोगों का आना जाना भी कम हो गया। समय गुजरता गया। लोगों ने धीरे धीरे अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। बारह वर्ष पहले जब लोग अधिक परेशान हुए तो कुछ लोग आने लगे। धीरे धीरे भक्तों की संख्या बढ़ने लगी । काम भी होने लगे, लेकिन आम रास्ते पर किसी ने ध्यान नही दिया।
इधर पटवारी शेर सिंह मीणा का कहना है कि बावड़ी पुरानी है , लेकिन आबादी क्षेत्र में होने पर हमारे पास इसका रिकार्ड नही है। इसके नाम कोई जमीन नहीं है।
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