सुविधा के नाम पर दुविधा यात्रियों व निगम कर्मचारियों को बैठने से लेकर पेयजल व शौच तक की नहीं सुविधाएं ।

रोडवेज बस स्टैंड दो दशक से किराए की भूमि पर, सुविधा के नाम पर दुविधा यात्रियों व निगम कर्मचारियों को बैठने से लेकर पेयजल व शौच तक की नहीं सुविधाएं

गंगापुर सिटी

राजस्थान पथ परिवहन निगम रोडवेज को गंगापुर बस स्टैंड के लिए भूमि तलाशने में दम भर गया है। इसका नतीजा है कि करीब दो दशक से रोडवेज बस स्टैड किराए की भूमि पर संचालित हो रहा है। जहां यात्रियों व निगम कर्मचारियों के लिए सुविधाएं तक भी नहीं है। रोडवेज बस स्टैंड पर यात्री भार भी अधिक है लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण सुविधाओं के नाम पर जीरो है। खाली मैदान में बसें भी सही प्रकार से खड़ी नहीं हो पाती, वहीं छाया व पानी, शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं होने से यात्रियों विशेषकर महिलाओं को काफी परेशानी होती है। रोडवेज बस स्टैंड पर क्षतिग्रस्त शौचालय में गंदगी जमा होने के कारण उपयोग नहीं हो पा रहा है। उपखण्ड मुख्यालय पर रोडवेज बस स्टैण्ड के लिए राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम प्रशासन दो दशक में एक अदद भूमि की तलाश नहीं कर पाया है। रोडवेज बस स्टैण्ड दो दशक से किराए की भूमि पर संचालित हो रहा है। रोडवेज सूत्रों ने यह बस स्टैण्ड 1992 से किराए की जमीन पर चल रहा है। वर्तमान में इसका किराया करीब 9 हजार से अधिक प्रति माह है। पिछले 28 साल में निगम लाखों रुपए किराए का भुगतान कर चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि रोडवेज अधिकारी रूचि दिखाते तो किराए के रूप में खर्च की गई राशि से नया बस स्टैण्ड विकसित हो जाता।1985 में दस बीघा जमीन डिबस्या के पास सरकार से की थी आवंटित हालांकि परिवहन निगम ने रोडवेज बस स्टैंड के लिए 1985 में दस बीघा जमीन डिब्स्या के पास सरकार से आवंटित कराई थी लेकिन निगम ने 2006 में इस जमीन को अनुपयोगी बताकर वापस सरकार को दे दी। अब नए बस स्टैंड के लिए जगह तलाश की जा रही है लेकिन नतीजा अभी तक सिफर है। हालांकि चार साल पूर्व पूर्व विधायक मानसिंह गुर्जर ने भी रोडवेज बस स्टैण्ड की जगह दिलीप पेट्रोल पंप के पास बेकार पड़ी सरकारी जमीन देखी गई। रोडवेज के अधिकारियों ने भी मौका मुआयना करने के बाद परिवहन मंत्री तक फाइल चली लेकिन मामला ढंण्डे बस्त म्रें चला गया। अब देखना है कि वर्तमान सरकार इस मामले में क्या कर सकती है।

 यह तो वक्त बताएगा। हर रोज 6 हजार मुसाफिर करते सफर रोडवेज बस स्टैंड से दिनभर में करीब 6 हजार यात्री सफर करते हंै तथा निगम की ओर से करीब 65 बसों का संचालन सुबह साढ़े चार से रात आठ बजे तक हो रहा है। इन बसों के संचालन में एक माह में करीब 23 से 25 लाख रुपए निगम को राजस्व प्राप्त हो रहा है। शहर के लोगों ने हिंडौन व दौसा आगार के मुख्य प्रबंधक को ज्ञापन देकर जयपुर-करौली व हिंडौन के लिए रात नौ बजे तक बसों का संचालन करने की मांग की है जिससे लोगों को बसों का लाभ मिल सके।

बसे बाहर खड़ी रहती हैं

जगह के अभाव में कई बार तो यहां अधिकांश रोडवेज बसें बस स्टैण्ड के अन्दर न खड़ी होकर सड़क पर खड़ी रहती है। इससे आने-जाने वाले वाहनों को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो जाम जैसी हालत हो जाती है। जबकि इस मार्ग पर राउमावि. के अलावा कई विद्यालय संचालित है। ऐसे में विद्यार्थियों को निकलने में आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। ट्राफी पुलिस भी इस और ध्यान नहीं देने से यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है। पूर्व में अतिरिक्त जिला कलक्टर ने भी रोडवेज सहित निजी बसों को रास्ता में खड़ा नहीं करने के दिशा-निर्देश दे चुके है। इसके बाद भी अधिकांश दौसा आगार की बसे सड़क पर खड़ी होकर सवारियां भरी जाती है।सरकार ने जमीन दे दी,लेकिन निगम ने उसे अनुपयुक्त बताकर लौटाई थी जमीन परिवहन निगम प्रबधन को 1985 में डिबस्या रोड पर बस स्टैण्ड के लिए दस बीधा जमीन आवंटित हुई थी,लेकिन वर्ष 2006 में हिण्डौन आगार के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक ने भूमि को अनुपयुक्त बताते हुए वापस सरकार को दे दी। अब कई साल से नए बस स्टैण्ड के लिए जगह तलाश की जा रही है, लेकिन अभी तक नया बस स्टैण्ड नहीं बन पाया है। वही हिंडौन आगार के प्रबंधक बहादूर सिंह गुर्जर का कहना है कि रोडवेज बसे बाहर खड़ी होती है तो गलत है। लेकिन प्राइवेट बसे भी खड़े रहने से जाम लग जाता है। यातायात पुलिस को चाहिए कि वह कार्रवाही करे।

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