राजस्थान और असम की नृत्य परम्परा पर वेबिनार का आयोजन जयपुर

जयपुर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रादेषिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, जयपुर द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्थान और असम की नृत्य परम्परा पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल के 146वें जयंती वर्ष एवं राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान और असम के लोगों को एक दूसरे की भाषा, साहित्य और संस्कृति की जानकारी देना था। वेबिनार को राजस्थान और असम की वरिष्ठ नृत्य विशेषज्ञों डाॅ0 स्वाति अग्रवाल और श्रीमती संगीता लाहकर ने संबोधित किया।

वेबिनार के आरंभ में प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, जयपुर की निदेशक श्रीमती ऋतु शुक्ला ने एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए इसके उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्थान और असम सहयोगी प्रदेश बनाए गए है और प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो द्वारा दोनों राज्यों की समृद्ध संस्कृति का परिचय देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। उन्होने बताया कि ब्यूरो द्वारा राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में असमिया नृत्य के कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही असमिया लेखकों की हिंदी में अनूदित पुस्तकें वितरित की गयी हैं।

वेबिनार को संबोधित करते हुए पत्र सूचना कार्यालय, जयपुर की अपर महानिदेशक डॅा0 प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्थान और असम को सहयोगी प्रदेश बनाया गया है और इससे दोनो प्रदेशों के लोगों को एक दूसरे की संस्कृति और जनजीवन के बारे में जानने का अवसर मिलता है। उन्होने कहा कि राष्ट्र के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर पत्र सूचना कार्यालय गुवाहाटी के संयुक्त निदेशक सम्राट बंद्योपाध्याय ने राष्ट्रीय एकता दिवस के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि देश के एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होने असम की संस्कृति और लोकनृत्यों के बारे में भी जानकारी दी ओर कहा कि एक दूसरे की संस्कृति को जानने से राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत होती है। उन्होने कहा कि असम के विभिन्न अंचलों के लोकनृत्य वहंा के जनजीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 

वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रख्यात कथक नृत्यंागना डॅा0 स्वाति अग्रवाल ने राजस्थान में कथक के जयपुर घराने और प्रदेश के दूसरे लोकनृत्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि जयपुर घराने के कथक में कविताओं का अद्भुद प्रयोग देखा जाता है। उन्होने घूमर, कालबेलिया, भवाई, कच्छीघोड़ी, गैर, चरी और तेरहताली नृत्यों के बारे में बताया। उन्होने बताया कि कथक के जयपुर घराने में किसी एक परिवार विशेष का योगदान नहीं है बल्कि यह एक समग्र परम्परा से विकसित हुआ है। डॅा0 स्वाति ने बताया कि राजस्थान के कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है जो पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उन्होनें चरी, भवाई और तेराताली जैसे पारम्पारिक लोक नृत्यों में भावभंगिमाओं और नृत्य की विभिन्न शैलियों के बारे में भी जानकारी दी।

वेबिनार को असम की प्रसिद्ध नृत्यंागना और फिल्म कलाकार श्रीमती संगीता लाहकर ने संबोधित किया। उन्होने कहा कि बिहू असम का प्रमुख नृत्य है जो असम के समस्त जनजीवन ओर वहंा रहने वाली सभी जनजातियों को संास्कृतिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से एकजुट करता है। उन्होने बताया कि बिहू तीन रूपों मंें मनाया जाता है। इस दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले ढोल, ताल, बांसुरी आदि वा़द्य यंत्रों के बारे में भी श्रीमती संगीता ने जानकारी दी। उन्होने बताया कि बिहू के अलावा असम में कई और लोक उत्सव मनाये जाते है जिनमें भी अलग अलग तरह के लोकनृत्य प्रस्तुत किये जाते हैं। उन्होने बिहू के विभिन्न रूपों और बिहू के दौरान गाये जाने वाले गीतों के बारे में भी बताया। उन्होने असम के झुमुर लोकनृत्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह नृत्य साओंताली जनजाति के लोग करते हैं जो ब्रिटिश काल में उडीसा ओर झाडखण्ड से आकर असम में बस गये थे। उन्होने लोकनृत्यों और पर्वों के दौरान की जाने वाली विभिन्न रस्मों और परम्पराओं के बारे में भी बताया। 

इस वेबिनार में प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, राजस्थान और प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, गुवाहाटी से संबद्ध कार्यालयों के माध्यम से दोनों प्रदेशों के लोगों के साथ साथ दोनों प्रदेशों के संस्कृति प्रेमियों, कलाकारों तथा नृत्य के शिक्षण से जुड़े शिक्षकों और वि़द्यार्थियों कोे जोड़ा गया। कार्यक्रम का प्रादेशिक लोक सम्पर्क ब्यूरो, जयपुर के ट्विटर हैण्डल से सीधा प्रसारण भी किया गया। वेबीनार के दौरान श्रीमती संगीता घोष और राजू जौहरी द्वारा राजस्थान और असम के गीतों प्रस्तुति दी गयीे।

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