देश में यह राज्‍य देगा अपने नन्‍हों को आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय ज्ञान परम्‍परा की शिक्षा

भारतीय ज्ञान और विज्ञान की बातें अक्‍सर सुनने को मिलती हैं, कई बार बड़े लोगों की ये ज्ञान की बातें बहुत उच्‍चस्‍तर की हो जाती हैं और सहज समझ नहीं आती, क्‍योंकि उस तरह का ज्ञान एवं अध्‍ययन की जो परम्‍परा आश्रम व्‍यवस्‍था में ऋषिकुल में रही, उसे भारत जैसे भूल सा गया है। फिर ये श्रुति की परंपरा जीवित हो और आधुनिक समय की मांग के अनुरूप हमारे नन्‍हें अपनी जड़ों से जुड़कर शिक्षा ग्रहण करें, इसके लिए अब एक राज्‍य सबसे पहले शासन स्‍तर पर योजना बनाकर आगे आया है।  बच्‍चों को योग्‍य बनाने के साथ संस्‍कार और संस्‍कृति का रक्षण है इसके पीछे का ध्‍येय कहते हैं संस्‍कार होंगे तभी संस्‍कृति का संरक्षण होगा, किसी भी जाति एवं समाज की श्रेष्‍ठ परम्‍परा एवं ज्ञान तभी तक आगे जीवित रह सकता है जब तक उसके सतत प्रवाह की सही व्‍यवस्‍था बनी रहे, अन्‍यथा रोम, युनान जैसे प्राचीन सभ्‍यता और संस्‍कृति के केंद्र दुनिया से अपनी हस्‍ती ही समाप्‍त कर लेते हैं। भारत इस अर्थ में गूढ़ है। अनेक झंझावातों के बाद भी वह हर बार उठ खड़ा हुआ है, क्‍योंकि किसी ना किसी कोने पर ज्ञान की इस परम्‍परा को बहुत शिद्दत के साथ सतत आगे बढ़ाने के लिए कोई कार्य कर रहा है।  इसी क्रम में शिक्षा के स्‍तर पर नवाचार करने के लिए मध्‍य प्रदेश आगे आया है। 

राज्‍य में ऐसे विद्यालय खुलने जा रहे हैं जहां बच्‍चों को आधुनिक शिक्षा अध्‍ययन के साथ ही भारतीय संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा भी समान रूप से दी जाएगी। ये स्कूल विश्‍वस्तरीय सुविधाओं जैसे कि स्वीमिंग पूल, बैंकिंग काउंटर, डिजिटल स्टूडियो, कैफेटेरिया, जिम, थिंकिंग एरिया से लैस होंगे।  इस प्रकार खोले जाएंगे सभी जगह विद्यालय प्रदेश में चार स्तरों जिला, विकासखंड, संकुल और ग्रामों के समूह स्तरों पर सी.एम. राइज स्कूल प्रस्तावित हैं। जिला स्तर पर प्रत्येक जिले में एक (कुल 52) सी.एम. राइज स्कूल होंगे, जिसमें प्रति स्कूल दो हजार से तीन हजार  विद्यार्थी होंगे। विकास खंड स्तरीय 261 स्कूल खोले जा रहे हैं, जिनमें प्रति स्कूल एक हजार पांच सौ से दो हजार  विद्यार्थी होंगे। इसी प्रकार संकुल स्तरीय तीन हजार 200 स्कूल होंगे, जिनमें प्रति स्कूल एक हजार से एक हजार 500 विद्यार्थी होंगे। ग्रामों के समूह स्तर पर पांच हजार 687 सी.एम.राइज स्कूल होंगे, जिनमें प्रति स्कूल 800 से एक हजार  विद्यार्थी होंगे। प्रदेश में खुलेंगे 9200 सी.एम.राइज  विद्यालय  इन खोले जा रहे विद्यालयों को लेकर मुख्‍यमंत्री शिवराज स्‍वयं कहते हैं कि ‘प्रदेश के हर क्षेत्र में गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से कुल 9200 सी.एम.राइज स्कूल खोले जा रहे हैं। इन स्कूलों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना है। साथ ही, भारतीय संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा देना है।

‘ खुल रहे विद्यालयों की ये हैं आठ मुख्य विशेषताएँ

इन स्कूलों में नर्सरी से हायर सेकंडरी तक की पढ़ाई हिंदी और इंग्लिश मीडियम से होगी। एक स्कूल पर 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। योजना 2023 तक पूरी करना है। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार का इन्‍हें लेकर कहना है कि विद्यालय बेहतर प़़ढाई के लिए बनाए जा रहे हैं। 2023 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है। इनमें विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी। वे कहते हैं कि इन विद्यालयों की आठ प्रमुख विशेषताएँ होंगी। अच्छी अधोसंरचना, हर विद्यार्थी के लिए परिवहन सुविधा, नर्सरी, केजी कक्षाएँ, शत-प्रतिशत शिक्षक एवं अन्य स्टाफ, स्मार्ट क्लास एवं डिजिटल लर्निंग, सुसज्जित प्रयोगशालाएँ एवं समृद्ध पुस्तकालय, व्यावसायिक शिक्षा और अभिभावकों की सहभागिता। यहां के बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जाएगी कि वे सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड के बच्चों से मुकाबला कर सकेंगे।  इसी के साथ इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों को परीक्षा देनी होगी और उन्हें नियमित शिक्षकों की तुलना में ज्यादा वेतन दिया जाएगा। शिक्षकों को स्कूल परिसर में ही मकान भी मिलेगा, ताकि उनके अप-डाउन में उलझने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। इन स्कूलों में बच्चों को ड्रेस कोड भी निजी स्कूलों जैसा ही होगा। 

लागू होगी नई शिक्षा नीति

मध्‍य प्रदेश में खोले जा रहे इन विद्यालयों को लेकर यह भी बताया जा रहा है कि इनमें सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है, जिसमें कि नर्सरी केजी-एक और केजी-दो से ही बच्‍चों की दक्षता की नींव मजबूत करने पर जोर रहेगा। अभी फिलहाल सरकारी तौर पर कक्षा पहली से पढ़ाई की शुरुआत होती थी। जोकि अब पूर्व से ही निजि विद्यालयों की तरह ही यहां देखने को मिलेगी। नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परम्‍परा पर बहुत जोर दिया गया है, इसलिए मध्‍य प्रदेश की शिवराज सरकार ने यह जो नए विद्यालयों का मॉडल तैयार किया है उसमें इस बात पर विशेष फोकस किया गया है कि कैसे हम नर्सरी से ही अपने नन्‍हों को अध्‍ययन के साथ उत्‍कृष्‍ट विचार का प्रवाह दे सकते हैं। ताकि वे भविष्‍य में देश के श्रेष्‍ठतम नागरिक बन सकें और राष्‍ट्र निर्माण में उनकी भूमिका शत प्रतिशत हो। 

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