शायरों के अनायास मिलते ही शुरू हो गई मुशायरे की महफिल।

शायरों के अनायास मिलते ही शुरू हो गई मुशायरे की महफिल।

अचानक बौंली पहुंचे कवि रियाजुद्दीन अंसारी साहब तो बौंली के शायरों ने किया उनका शायराना अंदाज में स्वागत और जम गई महफिल।
बूंदी के प्रसिद्ध कवि रियाजुद्दीन अंसारी जब अचानक बौंली पहुंचे शायर डॉक्टर रियाजुद्दीन अंसारी रियाज साहब बूंदी और शायर इकबाल खुश्तर साहब चाकसू, तो बौंली के कवियों की खुशी का ठिकाना ना रहा और नईम खां पठान हारिस व मुकामी शायरों ने उनका इस्तकबाल किया।
बौंली के स्थानीय कवियों को भी आमंत्रण दे दिया। और फिर जमने लग गई कवियों की महफिल। कवियों के आपस में अपने-अपने कविता पाठ सुनाने का क्रम शुरू हो गया। और सुनाते सुनाते कार्यक्रम ने एक सुंदर महफिल का रूप ले लिया। कई घंटों तक चले इस शायराना प्रोग्राम में मेहमान खुसूसी जनाब डॉक्टर रियाजुद्दीन रियाज बूंदी रहे।
मंच संचालन अब्दुल हनीफ शेख ने किया। प्रोग्राम की शुरुआत नअत ए रसूल पढ़कर जनाब इकबाल खुश्तर साहब ने किया-
सुन सुन के तिनके लाए सरकार की गली में, एक आशियां बनाए सरकार की गली में।
पढ़कर शुरुआत की
शेख अब्दुल हनीफ बौंली ने- कहते हो बार-बार के नाराजगी नहीं, फिर क्या वजह है आपकी अबरो पर बल पड़े हैं।
शायर जनाब नईम खान पठान हारीश ने –
आती नहीं है हिचकियां कोई तो बात है फुर्सत के वक्त याद जरा कर लिया करो। कलाम पढा
डॉक्टर रियाजुद्दीन अंसारी बूंदी ने-
इस दौर के हालात में रिश्वत के जोर से, अफसर क्या एक कलम ही क्या दफ्तर खरीद लो। पढ़कर शायरों की खूब वाहवाही लूटी।

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