आयुर्वेद व गौवंश के संरक्षण के लिए समर्पण रखने का आव्हान – भीलवाड़ा

विनायक विद्यापीठ भुणास में ‘प्रेरणा-पर्व’ पर हंसराज चोधरी सम्मानित

आयुर्वेद व गौवंश के संरक्षण के लिए समर्पण रखने का आव्हान

शाहपुरा(भीलवाड़ा)-मूलचन्द पेसवानी  

भीलवाड़ा जिले के भुणास गांव में स्थित विनायक विद्यापीठ मे 18 वें ‘प्रेरणा-पर्व’ का आयोजन समारोह पूर्वक किया गया जिसमें विभिन्न राज्यों के विद्वानों ने भाषा, संस्कृति और शिक्षा विषय पर गहन चर्चा की। विद्यापीठ के निदेशक डॉ. देवेन्द्र कुमावत के गुरु स्वामी ज्ञान अर्पितम् की स्मृति और महाराज ठा. शिवदान सिंह कारोही के जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष यह आयोजन होता है। 

शिक्षाविद व राष्ट्र-किंकर के संपादक डा. विनोद बब्बर, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. केएस गुप्ता, कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. पीके दशोरा, पूर्व मुख्य सचेतक कालूराम गुर्जर, रामस्नेही सम्प्रदाय के संत स्वामी तोताराम, समाजसेवी अशोक कोठारी, राष्ट्रीय कवि योगेंद्र शर्मा व विद्यापीठ के निदेशक डॉ. देवेन्द्र कुमावत ने इस मौके पर बुधवार को देर रात आयोजित सम्मान समारोह में आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु जिले के मोतीबोर का खेड़ा में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चोधरी को ‘विनायक प्रेरणा सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अतिथियों ने हंसराज चोधरी का साफा बंधवा कर, शाॅल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह प्रशस्ति पत्र के अलावा धनवन्तरि कलश देकर सम्मानित किया। इस दौरान कवि योगेन्द्र शर्मा ने हंसराज चोधरी व आश्रम के कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

सम्मान पश्चात समारोह को संबोधित करते हुए हंसराज चोधरी ने कहा कि देश के समक्ष वर्तमान में कई चुनौतियां है। भारतीय संस्कृति के सनातनकाल के आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति व गौवंश के संरक्षण की महत्ती जरूररत है। केवल नारे, रैली प्रदर्शन से इनका संरक्षण नहीं हो सकता है। इन दोनो पुनित कार्यो के लिए प्रत्येक व्यक्ति को समर्पण भाव से कार्य करना होगा तभी हम विश्व गुरू बनने की स्थिति में आयेगें। 

समारोह में विनायक विद्यापीठ के अधिष्ठाता डा. देवेन्द्र कुमावत ने भाषा, शिक्षा और संस्कृति को अभिन्न बताते हुए वर्तमान में देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं व शिक्षक से और अधिक जिम्मेवारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की अपील की। पूर्व मुख्य सचेतक कालूराम गुर्जर ने विनायक विद्यापीठ द्वारा हर वर्ष ऐसे आयोजन के माध्यम से भारत की संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए सम्मान प्राप्त करने वाले विद्वानों के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की।

कार्यक्रम की शानदार व्यवस्था डा. यश कुमावत, अरविंद, राज नैय्यर, सुरेंद्र सिंह द्वारा की गई जहां हमेशा की तरह परम्परागत मेवाड़ी व्यंजनों से सभी का स्वागत किया गया।

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