राजस्थान में कांग्रेस सरकार तभी रिपीट होगी जब कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलेगा। दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट आत्मविश्वास और उत्साह में दिखे।

राजस्थान में कांग्रेस सरकार तभी रिपीट होगी जब कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलेगा।
दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट आत्मविश्वास और उत्साह में दिखे।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तभी रिपीट होगी, जब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलेगा। गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों की खबरों के बीच पायलट ने 12 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात की। एक दिन पहले 11 नवंबर को सीएम गहलोत ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। सोनिया गांधी से मिलने के बाद पायलट ने कहा कि मैंने अपनी बात राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष रख दी है, सब चाहते हैं कि 2023 के विधानसभा में कांग्रेस की जीत हो और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को सरकार में भागीदारी मिले तथा जिन कार्यकर्ताओं ने भाजपा के शासन में संघर्ष किया है उन्हें सम्मान मिले। पायलट ने कहा कि राजस्थान में पिछले 25 वर्षों से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार इस परंपरा को तोड़ना है। अब जब चुनाव में मात्र 23 माह रह गए हैं, तब सबको एकजुट होकर काम करने की जरूरत है। सीएम गहलोत संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रभारी महासचिव अजय माकन आदि मिलकर ऐसा रास्ता निकालेंगे जिससे सरकार और संगठन मजबूत बने। पायलट ने कहा कि 2018 का चुनाव हमने कार्यकर्ताओं के दम पर लड़ा और भाजपा को हराया। कांग्रेस ही भाजपा को चुनौती दे सकती है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पायलट पूरे आत्मविश्वास और उत्साह में दिखे। उन्होंने फर्राटेदार अंग्रेजी में भी अपनी बात को रखा। उल्लेखनीय है कि पायलट पिछले एक वर्ष से कार्यकर्ताओं को सम्मान और सरकार में भागीदारी की बात कहते रहे हैं। भले ही इन बातों को सीएम गहलोत नकारते रहे हों, लेकिन सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद भी पायलट ने उन्हीं बातों को दोहराया था। 11 नवंबर को सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सीएम गहलोत ने मीडिया के समक्ष ऐसी तस्वीर प्रस्तुत की कि राजस्थान में सब कुछ अच्छा है। सरकार और संगठन की जो मौजूदा स्थिति है, उसमें भी विधानसभा का अगला चुनाव जीता जा सकता है। लेकिन 12 नवंबर को पायलट ने पुरानी बातों को दोहराते हुए स्पष्ट कर दिया कि सरकार और संगठन में बदलाव की जरूरत है। पायलट का आत्मविश्वास दिखा रहा था कि सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात उत्साहवर्धक रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनवाने में सचिन पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन तब कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। तभी से गहलोत और पायलट में खींचतान चली आ रही है। हालांकि पायलट को गहलोत सरकार ने डिप्टी सीएम बनाया गया था, लेकिन इसके बाद भी पायलट का असंतोष बरकरार रहा। पायलट जब 18 विधायकों के साथ गत वर्ष दिल्ली चले गए तब गहलोत ने पायलट और उनके समर्थक दो मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। पायलट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद भी छीन लिया गया। 19 विधायकों के दिल्ली चले जाने के कारण सीएम गहलोत को अपने समर्थक विधायकों को एक माह तक होटलों में बंद रखना पड़ा। गहलोत और पायलट के बीच जो खींचतान चली जा रही है उसका समाधान आज तक भी नहीं निकला है।

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