Indian Railways : मंत्री के इशारे पर बड़ा घोटाला, रेलवे को लगा दस करोड़ का चूना, कोटा मंडल का नया कारनामा

Indian Railways : मंत्री के इशारे पर बड़ा घोटाला रेलवे को लगा दस करोड़ का चूना कोटा मंडल का नया कारनामा
Indian Railways : मंत्री के इशारे पर बड़ा घोटाला, फिटकरी की जगह भेजा मार्बल पाउडर, रेलवे को लगा दस करोड़ का चूना, कोटा मंडल का नया कारनामा
Kota Rail News : कोटा रेल मंडल में फिर से एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां पर एलम (फिटकरी) के नाम पर मार्बल पाउडर भेजा जा रहा है। इससे रेलवे करीब 10 करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। मामले में एक मंत्री का नाम भी सामने आ रहा है। इस मामले के सीबीआई के पास तक भी पहुंचने की बात सामने आ रही है। इस घोटाले पर रेलवे अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे द्वारा बूंदी-चित्तौड़गढ़ रेल खंड स्थित मांडलगढ़ स्टेशन से भी माल का परिवहन किया जाता है। एक पार्टी द्वारा यहां से सितंबर से माल परिवहन शुरु किया गया था। इस पार्टी द्वारा रेलवे से एलम पाउडर असम (गुवाहाटी) भेजने की बात कही थी। लेकिन पार्टी ने एलम के नाम पर मार्बल पाउडर भेजना शुरू कर दिया। इसका मुख्य कारण मार्बल की जगह एलम का कम किराया होना था।
मांडलगढ़ से असम तक एलम पाउडर भेजने का किराया 1200 रुपए प्रति टन है, जबकि मार्बल पाउडर का किराया 2800 रुपए प्रति टन है। यानी कि एक टन पाउडर पर पार्टी को सीधे 1600 रुपए की बचत हो रही थी। एक कंटेनर में करीब 64 टन माल आता है। इस तरह 42 डिब्बों की गाड़ी में करीब 2600 टन माल आता है। इस तरह फर्म को एक मालगाड़ी पर सीधे 42 लाख रुपए का फायदा हो रहा था। इसके चलते पार्टी ने पिछले 6 महीने में दो दर्जन से अधिक मालगाड़ियों में एलम की जगह यह मार्बल पाउडर भेजा।
इससे रेलवे को 6 महीने में करीब 10 करोड़ रुपए का चूना लग गया। इनमें से कुछ मालगाड़ियां कोटा माल गोदाम से भी रवाना हुईं थीं।
पार्टी ने बंद किया माल भेजना
सूत्रों ने बताया कि मामले का खुलासा होने की भनक लगते ही पार्टी ने फिलहाल माल भेजना बंद कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि करीब 10 दिन पहले इस घोटाले की जानकारी एक संवाददाता को हो गई थी। संवाददाता ने मामले की खबर भी बना दी थी। खबर पर प्रतिक्रिया के लिए संवाददाता ने कोटा मंडल अधिकारियों को फोन किया था। अधिकारियों ने मामले को दिखवाने की बात कहते हुए तुरंत फोन काट दिया। इसके कूछ ही सेकंड बाद संवाददाता के पास हाड़ौती के एक मंत्री का फोन आया। मंत्री ने संवाददाता से खबर नहीं चलाने और इसके बदले पैसे लेने का ऑफर दिया। अन्यथा अंजाम भुगतने को तैयार रहने को धमकी दी। संवाददाता ने पैसे लेने से तो साफ मना कर दिया, लेकिन डर के मारे खबर भी नहीं चलाई। लेकिन इस घटना के तुरंत बाद फर्म ने मांडलगढ़ से अपना काम समेट लिया। फर्म प्लेटफार्म पर रखे त्रिपाल आदि सामान ले गई। इस दिन के बाद से फर्म ने एक भी मालगाड़ी लोड नहीं की। माल परिवहन के लिए फर्म को फोन भी किया गया था। लेकिन फर्म ने मंदी होने की बात कहते हुए फिलहाल माल भेजने से मना कर दिया। गौरतलब है कि यह वही मंत्री हैं जिन पर उन्हीं की पार्टी के एक विधायक द्वारा लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं।
सीबीआई तक पहुंचा मामला
सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद यह मामला सीबीआई तक पहुंच गया। इसके बाद से सीबीआई मालगाड़ी लोड होने का इंतजार कर रही है। अगर मालगाड़ी जल्दी ही लोड नहीं होती तो सीबीआई मौके पर मौजूद सबूतों के आधार पर भी अपनी कार्रवाई शुरू कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि मौके पर मार्बल पाउडर कहीं नजर नहीं आ रहा है जबकि एलम पाउडर जगह-जगह बिखरा हुआ है
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दूर-दूर तक नहीं मिलता एलम पाउडर
सूत्रों ने बताया कि मांडलगढ़ के आसपास और भीलवाडा जिले में भी दुर-दुर तक एलम पाउडर कहीं नहीं मिलता। यहां पर एक भी खान एलम पाउडर की नहीं है। यह बात रेलवे अधिकारियों को भी अच्छी तरह पता है। इसके बाद भी अधिकारी ट्रेन में एलम पाउडर लोड करवा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि यह माल राजसमंद से गुवाहाटी के नाम पर भेजा गया तथा मांडलगढ़ से लोड किया गया।
एलम पाउडर क्या है
दरअसल एलम पाउडर एक रसायानिक पदार्थ है, जो एक क्रिस्टल की तरह होता है। इसका रासायनिक नाम पोटेशियम एल्यूमीनियम सल्फेट है। इसे अंग्रेजी में एलम कहा जाता है। सामान्य से दिखने वाले इस पाउडर में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसके चलते रेलवे ने इसका किराया कम रखा है। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ट्रांसपोर्ट कंपनियां इसका जमकर फायदा उठा रही हैं।
आपत्तियों पर नहीं दिया ध्यान
सूत्रों ने बताया कि इस घोटाले की जानकारी कुछ अन्य फर्मों को भी हो गई थी। फर्मों ने अधिकारियों के समक्ष इसकी आपत्ति भी दर्ज करवाई थी। लेकिन इसके बाद भी इस मामले में कुछ नहीं हो सका। मामले में कई फॉर्म मालिकों ने कहा कि रेलवे अधिकारी अंधे बने बैठे हैं।
कार्रवाई नहीं होने का परिणाम उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं जब अधिक भाड़े का माल कम किराए में भेजा जा रहा हो। इससे पहले भी कोटा में भी ऐसा ही एक मामला सामने आ चुका है। यहां पर पार्टी ने रेलवे को बिना बताए कोटा स्टोन का परिवहन कर दिया। यह कोटा स्टोन भी असम भेजा गया था।
बाद में मामला प्रकाशित होने पर रेलवे ने पार्टी पर 8 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। मामले में कुछ कर्मचारियों को भी इधर-उधर किया गया था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। संभवत यही कारण है कि ऐसा मामला फिर से सामने आ गया।
अधिकारियों ने नहीं दिया जवाब
इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल को फोन किया गया था। लेकिन हमेशा की तरह अजय पाल ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।

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