ब्राह्मणों के जीवन का आदर्श ही रहा है - सादा जीवन, उच्च विचार व संस्कृति-संबंधी रक्षण तथा उसका विकास। समाज के कल्याणकारी पवित्र ज्ञान के वाहक होने से ही ब्राह्मण की श्रेष्ठता रही है। लोक कल्याण के लिए ज्ञान साधना का उनका सुदीर्घ इतिहास सम्मोहित करता है। ब्राह्मणा: सन्तु निर्भया:
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