क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न क्यों? इससे देश के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न क्यों? इससे देश के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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यूं तो पहले भी दिल्ली में जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लग चुके हैं, लेकिन देशभक्ति से विपरीत भावनाओं के तहत 24 अक्टूबर के बाद अनेक लोक क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न मना रहे हैं। यह जश्न ऐसे मौके पर मनाया जा रहा है, जब पाकिस्तान हमारे कश्मीर में आतंकियों से हिन्दुओं की हत्या करवा रहा है। ऐसे आतंकियों के पास से पाकिस्तान के हथियार मिल रहे हैं। सब जानते हैँ कि कश्मीर में जो आतंकवादी सक्रिय हैं, उनके आका पाकिस्तान में रहते हैं। सलवा उठता है कि क्या कुछ लोग कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या का जश्न मना रहे हैं? यदि क्रिकेट मैच में भारतीय टीम हारी है तो देशभक्ति की भावना के तहत हर भारतीय को अफसोस होना चाहिए। अपने देश की टीम की हार पर जश्न मनाने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 24 अक्टूबर को जब टी-20 वर्ल्ड कप के क्रिकेट मैच में भारतीय टीम की हार हुई तो हमारे देश के कई हिस्सों में पटाखे फोड़े गए। कुछ देशद्रोहियों ने तो सोशल मीडिया पर अपने जश्न का इजहार किया। हालांकि अब ऐसे पाकिस्तान परस्त लोगों पर कानूनी कार्यवाही हो रही है, लेकिन अब ऐसे लोगों को भी प्रतिक्रिया देनी चाहिए जो संविधान की दुहाई देकर भारत पर अपना हक जमाते हैं। पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने से जाहिर है कि भारत में किस मानसिकता के लोग रह रहे हैं। अफसोस तब होता है जब ऐसी मानसिकता के लोग ही धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हैं। जो लोग अपने देश की टीम की हार पर जश्न मनाते हैं, उनके लिए धर्मनिरपेक्षता सिर्फ अपना मतलब पूरा करने के लिए हैं। सवाल यह भी है कि जब पाकिस्तान की टीम की जीत पर खुशी होती है तो फिर ऐसे लोग पाकिस्तान क्यों नहीं जाते? भारत में रह कर पाकिस्तान के लिए जश्न मनाने वाले लोग यदि पाकिस्तान चले जाएंगे तो उन्हें पाकिस्तान की हकीकत का अहसास हो जाएगा। भारत आज एक समृद्धशाली देश है। अमरीका, ब्रिटेन, जापान जैसे विकसित और धनी देश भारत में लगातार निवेश कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान दिवालियापन के कगार पर खड़ा है। वाकई यह अफसोसनाक बात है कि समृद्धशाली भारत में रहते हुए दिवालिया पाकिस्तान के लिए जश्न मनाया जा रहा है। देश के लोगों को इन हालातों को समझना चाहिए। गंभीर बात तो यह है कि जो लोग भारतीय टीम की हार पर जश्न मनाते हैं उन्हें भी भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोट देने और सरकार चुनने का अधिकार है। ऐसे लोग किस मानसिकता से अपने मताधिकार का उपयोग करते होंगे, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या देश में राष्ट्रवाद की भावना रखने वालों की सरकार नहीं होनी चाहिए? क्या हम ऐसे लोगों की सरकार चाहते हैं तो अपने ही देश की टीम की हार पर जश्न मनाए?

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