विश्व आर्थिक मंच और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स ने संयुक्त रूप से डिजाइन किए गए ‘सस्टेनेबल सिटीज इंडिया कार्यक्रम’ पर सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

विश्व आर्थिक मंच और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) ने संयुक्त रूप से डिजाइन किए गए ‘सस्टेनेबल सिटीज इंडिया प्रोग्राम’ पर सहयोग करने के लिए आज एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य शहरों के ऊर्जा, परिवहन तथा निर्मित पर्यावरणीय क्षेत्रों में डीकार्बोनाइजेशन समाधान उपलब्ध कराने में एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना है।

यह पहल विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि यह माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कॉप-26 में जलवायु शमन प्रतिक्रिया के रूप में 2070 तक नेट जीरो टर्न करने की भारत की प्रतिबद्धता के बाद की गई है।

‘सस्टेनेबल सिटीज इंडिया प्रोग्राम’ का उद्देश्य शहरों को एक व्यवस्थित एवं टिकाऊ तरीके से डीकार्बोनाइज करने में सक्षम बनाना है, जो उत्सर्जन को कम करेगा और लचीला तथा न्यायसंगत शहरी पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करेगा। यह फोरम और एनआईयूए दो वर्षों में पांच से सात भारतीय शहरों के संदर्भ में फोरम की सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया तथा समाधान के टूलबॉक्स को डीकार्बोनाइजेशन के लिए अनुकूलित करेंगे। सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया बहु-क्षेत्रीय, बहु-हितधारक कार्यशालाओं की एक श्रृंखला है, जिसमें व्यापार, सरकार और नागरिक समाज के प्रमुखों को शामिल किया जाता है, विशेष रूप से स्वच्छ विद्युतीकरण व वितरण के माध्यम से डीकार्बोनाइजेशन को सक्षम बनाने के लिए इसमें क्रियान्वयन होता है। कार्यशाला श्रृंखला का परिणाम प्रासंगिक नीतियों और व्यवसाय मॉडल की एक शॉर्टलिस्ट की तरह है, जो न केवल उत्सर्जन को कम करता है बल्कि सिस्टम वैल्यू को अधिकतम करता है, जैसे बेहतर वायु गुणवत्ता या रोजगार सृजन। साथ ही यह सिटी स्प्रिंट्स नेट ज़ीरो प्लानिंग और एक्शन को जम्पस्टार्ट और/या तेज करने में मदद करेगा। सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया टूलबॉक्स ऑफ़ सॉल्यूशंस का उपयोग करती है – यह एक डिजिटल प्लेटफार्म है, जिसमें स्वच्छ विद्युतीकरण, दक्षता तथा स्मार्ट बुनियादी ढांचे के 200 से अधिक उदाहरण मौजूद हैं और इसके लिए दुनिया भर के 110 से अधिक शहरों से इमारतों, ऊर्जा प्रणालियों एवं गतिशीलता के मामलों का अध्ययन किया गया है। सिटी स्प्रिंट प्रक्रिया शहरों को प्रायोगिक समाधान देने में भी सक्षम बनाएगी। उसके बाद निष्कर्षों के आधार पर, भारत 10 से 40 सर्वोत्तम केस स्टडी में योगदान देने में सक्षम होगा, जिसे समाधान के टूलबॉक्स में एकीकृत किया जाएगा और दुनिया भर में प्रदर्शित किया जाएगा।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कार्यक्रम में भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में मिशन निदेशक (स्मार्ट सिटीज मिशन) और संयुक्त सचिव कुणाल कुमार ने कहा कि ग्लासगो में कॉप-26 शिखर सम्मेलन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित ‘भविष्य के लिए तैयार’ भारत के अपने दृष्टिकोण के साथ संरेखित करते हुए, भारत 2070 तक नेट जीरो बनने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वच्छ ऊर्जा बढ़ाने में तेजी लाने के लिए इस दृष्टि को साकार करने हेतु बातचीत के साथ ही अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि चौतरफा हेलिक्स के सभी कार्यकर्ताओं के बीच कार्रवाई महत्वपूर्ण है। एनआईयूए और डब्ल्यूईएफ के बीच यह साझेदारी उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सहयोग भारत के शहरों और विश्व स्तर पर शहरों को एक दूसरे से सीखने तथा सतत विकास व जलवायु लचीलेपन की दिशा में कार्रवाई करने में मदद करेगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक हितेश वैद्य ने कहा कि भारत तेजी से शहरीकरण कर रहा है; इसका श्रेणीकरण करना और गति अभूतपूर्व है। संस्थानों के लिए शहरी विकास प्रक्रिया में जलवायु लचीलेपन को प्राथमिकता देना और एम्बेड करना अनिवार्य है। इस संबंध में, क्रॉस-सेक्टर तथा अंतर-संगठनात्मक भागीदारी ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने एवं सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान करने के लिए ये सब महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें भारतीय संदर्भ में प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं डब्ल्यूईएफ के साथ एनआईयूए के सहयोग को बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से देखता हूं क्योंकि यह न केवल सिटी स्प्रिंट कार्यशालाओं के माध्यम से भारत में शहरी पेशेवरों की क्षमता का निर्माण करेगा, बल्कि उन्हें समाधानों के वैश्विक टूलबॉक्स तक पहुंच भी प्रदान करेगा और यह भारतीय शहरों को भविष्य के लिए तैयार करने के हमारे दृष्टिकोण में अन्य संभावित भागीदारों के साथ जुड़ जायेगा।

विश्व आर्थिक मंच के एनर्जी, मैटेरियल्स, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम – नेट जीरो कार्बन सिटीज प्रमुख क्रिस्टन पनेराली ने इस अवसर पर अपनी टिप्पणी में कहा कि नेट जीरो लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रगति करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी सहयोग के नए मॉडल की आवश्यकता है। सिटी स्प्रिंट कार्यशालाओं को ऊर्जा, गतिशीलता तथा निर्मित वातावरण में समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने के लिए सरकार एवं व्यापार जगत के नेताओं को एक साथ काम करने में सक्षम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें अगली सफलता के विचार की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है – प्रौद्योगिकियां और व्यवसाय मॉडल पहले से मौजूद हैं। इस सहयोग के माध्यम से, समाधान का टूलबॉक्स भारत और दुनिया भर में शहरी केंद्रों को विचार प्रदान करने के लिए विकसित तथा विस्तारित होता रहेगा।

विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत जैसे घनी आबादी वाले देश जो कृषि पर अत्यधिक निर्भर हैं, वे विशेष रूप से जलवायु असुरक्षा की चपेट में हैं। शहरों में डीकार्बोनाइजेशन ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का एक वास्तविक अवसर है और भारत के शहर इस लक्ष्य तक पहुंचने में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।

नेट जीरो कार्बन सिटीज के बारे में

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का नेट जीरो कार्बन का मकसद सिटीज मिशन स्वच्छ विद्युतीकरण और वितरण के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी डीकार्बोनाइजेशन और लचीलापन होता है। कार्यक्रम का उद्देश्य ऊर्जा, निर्मित पर्यावरण और परिवहन क्षेत्रों में अंतर को पाटने के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना है।

एनआईयूए के बारे में

वर्ष 1976 में स्थापित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) शहरी नियोजन और विकास पर भारत का प्रमुख राष्ट्रीय थिंक टैंक है। शहरी क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के निर्माण एवं प्रसार के लिए एक केंद्र के रूप में, एनआईयूए तेजी से शहरीकरण भारत की चुनौतियों का समाधान करने के लिए अभिनव समाधान प्रदान करना चाहता है और भविष्य के अधिक समावेशी तथा टिकाऊ शहरों के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहता है।

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एमजी/एएम/एनके/डीए

पोस्ट विश्व आर्थिक मंच और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स ने संयुक्त रूप से डिजाइन किए गए ‘सस्टेनेबल सिटीज इंडिया कार्यक्रम’ पर सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए पहले G News Portal पर दिखाई दिया।

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