प्रधानमंत्री ने शिक्षा और कौशल क्षेत्र पर केंद्रीय बजट 2022 के सकारात्मक प्रभाव पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया

शिक्षा और कौशल क्षेत्र पर केंद्रीय बजट 2022 के सकारात्मक प्रभाव पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘नौकरी की बदलती भूमिकाओं की मांगों के अनुसार देश में ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ तैयार करना अति आवश्यक है।’ वेबिनार के दौरान डिजिटल कौशल को मजबूत कर कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल होने को प्रोत्साहित करने के लिए, ‘मजबूत उद्योग-कौशल संबंध को बढ़ावा’ देने के विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और पर्यटन मंत्रालय की भागीदारी के साथ यह आयोजन किया। वेबिनार में सरकारी अधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख संघों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

एमएसडीई के नेतृत्व में आयोजित वेबिनार की सह-अध्यक्षता श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, एमएसडीई, श्री अनुराग जैन, सचिव, डीपीआईआईटी और श्री जी. कमला वर्धन राव, महानिदेशक, पर्यटन मंत्रालय ने की। सत्र के लिए पैनल में शामिल थे- श्री एन. एस. कलसी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी); श्री अंबर दुबे, संयुक्त सचिव, नागर विमानन मंत्रालय और श्री मनीष सबरवाल, उपाध्यक्ष, टीमलीज सर्विसेज। सत्र का संचालन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के सीओओ श्री वेद मणि तिवारी ने किया।

 

श्री राजेश अग्रवाल ने बजट 2022 में घोषित नवीनतम पहलों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इस पर भी अपनी बात रखी कि उद्योग की वर्तमान मांगों के अनुसार साझेदारी को कैसे मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में कृषि से लेकर सेवा क्षेत्र तक की गतिशीलता पूरी तरह से बदल गई है। जबकि बुनियादी मानवीय जरूरतें समान बनी हुई हैं, लेकिन उत्पादन, वितरण और खपत के पैटर्न में तेजी से बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे में, यह उचित है कि हम सॉफ्ट स्किल्स को बढ़ावा दें, सीखने की संस्कृति को अपनाएं और बहुकौशल पर ध्यान दें क्योंकि ये पहल हमारे युवाओं को सशक्त बनाएगी और राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देगी। उन्होंने आगे कहा कि कौशल और आजीविका के लिए डिजिटल इकोसिस्टम (डीईएसएच-स्टैक ई-पोर्टल यानी ‘देश स्टैक ई-पोर्टल’) हितधारकों के बीच सूचना तंत्र को मजबूत करेगा और मौजूदा विषमताओं को दूर करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि शिक्षा क्षेत्र और उद्योग साथ-साथ काम करें क्योंकि महामारी ने हमें सिखाया है कि कैसे मौजूदा कौशल रातोंरात खत्म हो सकते हैं और नौकरी की नई भूमिकाएं तेजी से विकसित हो सकती हैं। इसलिए, कौशल की एक संस्कृति विकसित की जानी चाहिए जो हमारे कार्यबल की क्षमताओं का निर्माण करती हैं और उन्हें काम करने के लिए तैयार करती हैं।

 

सत्र के दौरान, श्री अनुराग जैन ने कहा कि बजट भाषण में, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि यह पहल 200 से ज्यादा लेयर्स के साथ एक जीआईएस आधारित स्थानिक योजना और विश्लेषणात्मक उपकरण है, जो संबंधित एजेंसी को बेहतर समझ और जानकारी प्रदान करती है। इसके तहत, अब हर विभाग को एक दूसरे की गतिविधियों की जानकारी मिलेगी और तालमेल बेहतर हो सकेगा। इससे मिले महत्वपूर्ण डेटा से योजना ज्यादा समग्र तरीके से तैयार की जा सकेगी और परियोजना पर प्रभावी तरीके से काम भी किया जा सकेगा। सभी मोड ऑपरेटरों के बीच डेटा एक्सचेंज को यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) पर लाया जाएगा, जिसे एप्लिकेशन प्रोग्रामिक इंटरफेस (एपीआई) के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि यह सात इंजनों- सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जन परिवहन, जलमार्ग और लॉजिस्टिक्स ढांचे पर सतत विकास लाएगा। उन्होंने कौशल का माहौल, उद्योग की आवश्यकताओं (रीस्किलिंग, अपस्किलिंग) और उद्योग की जरूरतों के अनुरूप एनएसक्यूएफ की जरूरत पर जोर दिया।

 

श्री जी. कमला वर्धन राव ने सेमिनार के दौरान अपने विचार रखते हुए कहा कि महामारी के दौरान पर्यटन सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक था, लेकिन आज यह स्वास्थ्य, साहसिक और चिकित्सा पर्यटन, होमस्टे और भी बहुत कुछ के रूप में नए अवसर देख रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नौकरी कर रहे कुल लोगों में से 8.5 प्रतिशत से अधिक पर्यटन और उससे जुड़े क्षेत्रों में हैं। यह डेटा इस क्षेत्र में श्रमशक्ति के महत्व पर प्रकाश डालता है और कार्यबल में नए कौशल प्रदान करते हुए अन्य क्षेत्रों के साथ लगातार जुड़ने की आवश्यकता पर जोर देता है। इसके अलावा, जहां तक आधुनिक पीढ़ी के लिए डिजिटल सशक्तीकरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी का संबंध है, ड्रोन शक्ति भारत के युवाओं के लिए नए रास्ते खोलेगी। उन्होंने आगे कहा कि गति शक्ति हमें कुशल श्रमिकों की नियुक्ति का अवसर प्रदान करेगी।

 

सत्र में, डिजिटल कौशल को बढ़ाकर कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के व्यापक पहलुओं पर चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने बजट 2022 में वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं पर अपने विचार रखे, जिसमें देश-स्टैक ई-पोर्टल पर विचार-विमर्श शामिल है जिसका उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल,रीस्किल और अपस्किल कर सशक्त बनाना है। इसके अलावा, सत्र में उद्योग की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के सफल कार्यान्वयन, ड्रोन शक्ति योजना के माध्यम से उभरती प्रौद्योगिकियों और प्रशिक्षण का विस्तार, घरेलू विनिर्माण बढ़ाने और रोजगार क्षमताएं पैदा करने में मदद करने जैसी पहलुओं को शामिल किया गया। उभरते क्षेत्रों, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स पर चर्चा के साथ पीएम गति शक्ति कार्यक्रम से संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा की गई।

 

पैनलिस्टों ने कई पहलों पर अपने विचार रखे और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र व उद्योग के बीच बेहतर तालमेल बनाने पर विस्तार से बात की गई। इस पर भी चर्चा हुई कि डिजिटल कौशल के साथ भारत कैसे प्रौद्योगिकी-संचालित विकास की ओर बढ़ सकता है।

 

इस संबंध में, श्री एन. एस कल्सी, अध्यक्ष राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) ने कहा कि महामारी ने हमारे दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ा दिया है। उद्योगों और व्यावसायों में अभूतपूर्व बाधाओं ने हमें डिजिटल फर्स्ट का मंत्र सिखाया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, एनसीवीईटी आवश्यक दक्षताओं और कौशल की पहचान करने के लिए उद्योग के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिसमें भविष्य के कौशल शामिल हैं। इसके जरिए मौजूदा और आने वाले कर्मचारियों के लिए योग्यता और कौशल प्रशिक्षण के विकास पर मार्गदर्शन मिल सकेगा।

 

टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष, श्री मनीष सभरवाल ने कहा कि जैसे-जैसे हम एक प्रौद्योगिकी संचालित भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, हम धीरे-धीरे महसूस कर रहे हैं कि रोजगार, नियोजनीयता और शिक्षा को अलग करना न केवल संभव है बल्कि शिक्षा और कौशल में भी नवाचार की जरूरत है। कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए, हमें पारंपरिक बाधाओंसे पार पाना होगा और कमाई के साथ सीखने के लिए तैयार रहना होगा, लचीलेपन के साथ सीखना होगा और इसे योग्यता प्रतिरूपकता के तहत श्रेणीबद्ध करना होगा। नागर विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अंबर दुबे का मानना है कि ड्रोन शक्ति भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में एक गेम चेंजर साबित होगी। ड्रोन का विस्तार भी भारत के मोबाइल उपयोगकर्ताओं की तरह होगा।

 

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के सीओओ श्री वेद मणि तिवारी ने आखिर में कहा कि इस सत्र ने मंत्रालयों और विभागों के बीच सहयोग और एक साथ काम करने के उत्साह को प्रदर्शित कर स्पष्ट रूप से एकजुटता का प्रदर्शन किया है। आज सत्र की चर्चा और आए सुझाव, वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सबका प्रयास, सबका विकास के दृष्टिकोण को सामने रखते हैं।

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एमजी/एएम/एएस

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