भारत को विश्व का बाजरा केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)

“खाद्य, कृषि और आजीविका” पखवाड़े के तहत चल रहे एक्सपो 2020 में इंडिया पवेलियन ने शुक्रवार को एक संगोष्ठी –‘भारत : बाजरा उत्पादन और मूल्य श्रृंखला’ की मेजबानी की। सत्र के दौरान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और क्षेत्र के विशेषज्ञों ने देश की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए बाजरा उत्पादन और प्रसंस्करण करने वाले भारतीय उद्योग के अवसरों पर विचार-विमर्श किया।

 

सत्र में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि हम स्टार्टअप्स और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से न केवल बाजरा की मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ने में मदद करने का आग्रह करते हैं बल्कि समावेशी ढांचा तैयार करने में भी मदद करते हैं जहां हम उत्पादक समूहों को साथ लेकर चलते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत की ओर से प्रायोजित और 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष” के रूप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य अनाज के स्वास्थ्य लाभों और बदलती जलवायु परिस्थितियों में खेती के लिए इसकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव (फसल और तिलहन) सुश्री शुभा ठाकुर ने साझा किया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष को ध्यान में रखते हुए हम इसके पोषण लाभों और मूल्य श्रृंखला पर विशेष ध्यान देकर बाजरा अभियान को बढाने की कोशिश कर रहे हैं।

बाजरा के पोषण सुरक्षा पहलुओं को रेखांकित करते हुए न्यूट्रीहब के सीईओ डॉ. बी. दयाकर राव ने कहा कि बाजरा के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जो मोटापा और कुपोषण को कम कर सकते हैं। यह विटामिन, खनिज और पादप रसायन (फाइटोकेमिकल्स) पर अच्छी तरह से चिह्नित है और यह उच्च रक्तचाप, पेट के कैंसर और हृदय रोगों को मात देने में भी मदद करता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है। उन्होंने कहा कि अब अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष की शुरुआत के साथ भारत अन्य देशों के साथ सर्वोत्तम कार्य प्रणाली, तकनीकी, बाजरा की अच्छाई और स्थापित मूल्यों व अनुभवों को साझा करके दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) के आर्थिक सलाहकार श्री कुंतल सेनसरमा ने इस क्षेत्र में नीतिगत प्रोत्साहनों के बारे में बात करते हुए कहा कि इस वर्ष के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्रालय को दिए गए हमारे दो सुझावों इस क्षेत्र को मजबूत करने और आवश्यक नीतिगत माहौल बनाने के लिए स्वीकार कर लिया गया है। पहला प्रमुख कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेपों के आधार पर 2023 के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के संदर्भ में था और दूसरा उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और सूक्ष्म उद्यमों की औपचारिकता पर आधारित था।

एनआईएफटीईएम के निदेशक डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन ने बाजरा की मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने पर विचार-विमर्श करते हुए कि एफपीओ, एसएचजी और सहकारी समितियों को तकनीकी सहायता, क्रेडिट लिंकेज देकर और भोजन की बर्बादी से बचने के लिए पर्याप्त भंडारण क्षमता सुनिश्चित करके असंगठित खाद्य प्रसंस्करण व्यवस्था को औपचारिक रूप देने की आवश्यकता है।

‘खाद्य, कृषि और आजीविका’ पखवाड़े में कई स्टार्टअप और एफपीओ भाग ले रहे हैं और अपने अभिनव कृषि तकनीकी समाधान व टिकाऊ और स्वस्थ बाजरा-आधारित उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं।

‘खाद्य, कृषि और आजीविका’ पखवाड़े का 2 मार्च को समापन होगा।

 

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एमजी/एएम/आरकेजे

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