भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पूंजीगत माल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इंजीनियरिंग व्‍यापारों में प्रशिक्षण की सुविधा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पूंजीगत माल क्षेत्र में कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सहयोगपूर्ण इकोसिस्‍टम बनाने के उद्देश्‍य से आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। साझेदारी का उद्देश्य पूंजीगत माल क्षेत्र चरण II में प्रतिस्‍पर्धा बढ़ाने के लिए योजना के अंतर्गत एमएचआई से संबंधित सेक्टर स्किल काउंसिल (जैसे ऑटोमोटिव, बुनियादी ढांचा, उपकरण और पूंजीगत माल) द्वारा विकसित क्‍वालीफिकेशन पैक्‍स के माध्‍यम से अनेक इंजीनियरिंग व्‍यापारों में प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करना है। 

इस योजना के तहत, भविष्य की औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, स्तर 6 और उससे ऊपर के लिए क्‍वालीफिकेशन पैक बनाने के माध्यम से पूंजीगत सामान क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए एक नया घटक शुरू किया गया है। घटक के तहत, मंत्रालय कौशल स्तर 6 और उससे ऊपर के लिए क्‍वालीफिकेशन पैकेज (क्यूपी) बनाकर पूंजीगत सामान क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा दे रहा है। ।

इस पहल के तहत, एमएचआई नए उद्योग आधारित राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) स्तर 6 और उससे ऊपर के योग्यता पैक (क्यूपी) के विकास के लिए एमएचआई सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) को 100 प्रतिशत वित्‍तीय सहायता प्रदान करेगा। क्यूपी के सफल विकास के बाद, एमएचआई एसएससी एमएसडीई ( कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय) और एनएसडीसी (राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम) की मदद से उद्योग में वर्तमान श्रम बल को अतिरिक्‍त कौशल प्रदान करने के लिए विकसित क्‍यूपी का इस्‍तेमाल करेगा। तीन साल की अवधि में 70,000 से अधिक व्यक्तियों को कौशल प्रदान करने के लिए एमएचआई उद्योग संघों और एसएससी के बीच सम्‍पर्क प्रदान करेगा।

 

केन्‍द्रीय भारी उद्योग मंत्री श्री महेन्‍द्र नाथ पांडे ने साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि भारी विनिर्माण उद्योग रोजगार सृजन, निर्यात और अर्थव्यवस्था के मूल्यवर्धन के मामले में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह की वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी संभावनाएं प्रस्तुत करती है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की आत्मानिर्भर भारत की परिकल्‍पना को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।

प्रस्तावित क्यूपी मौजूदा इन-हाउस प्रशिक्षण (मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में) के लिए उम्मीदवारों को दिए गए प्रशिक्षण के लिए एक औपचारिक प्रमाणन प्रदान करेगा। प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम, सामग्री और डिजिटल एड्स का मानकीकरण इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण आयोजित करने में और सहायक होगा। प्रस्तावित क्यूपी में सीखने का एक मिश्रित तरीका होगा, यानी ऑनलाइन सामग्री, प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग (पीबीएल) और ऑन-द-जॉब लर्निंग (ओजेटी)। कार्यक्रम शिक्षार्थियों, उद्योगों और संबद्ध संगठनों के प्रायोजन के माध्यम से आयोजित किया जाएगा। यहां तक ​​कि विशेषज्ञों के पास भी उद्योग में 10 से अधिक वर्षों के उद्योग के अनुभव वाले तकनीशियनों के पास विशेषज्ञता के अपने संबंधित क्षेत्र में सुसज्जित और पुनर्कुशल होने का विकल्प होगा।

कौशल विकास और उद्यमिता और शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पूंजीगत सामान क्षेत्र का विकास मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता से जुड़ा हुआ है। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि एक कुशल कार्यबल की अधिक मांग पैदा करेगी और समझौता ज्ञापन इस क्षेत्र के लिए अधिक कुशल जीवंत कार्यबल बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा ।

श्री पांडे ने आगे बताया कि एमएचआई एमएसडीई को एसएससी और कॉमन इंजीनियरिंग फैसिलिटी सेंटर्स (सीईएफसी) के बीच आवश्यक लिंकेज भी प्रदान करेगा, जिसमें एमएचआई सीजी स्कीम फेज I के तहत स्थापित चार एमएचआई समर्थ उद्योग केंद्र और भेल, त्रिची को सीजी योजना चरण II के तहत स्वीकृत वेल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) में स्किलिंग के लिए सीईएफसी शामिल हैं। योजना के तहत, डब्ल्यूआरआई त्रिची अगले तीन वर्षों में 5000 वेल्डर को प्रशिक्षित करने की क्षमता बढ़ाने के लिए अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ाएगा। एमएचआई और एमएसडीई के बीच समझौता ज्ञापन यह सुनिश्चित करेगा कि पूंजीगत सामान उद्योगों के लिए बनाया गया बुनियादी ढांचा विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रदान करने के लिए प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

एमएसडीई यह सुनिश्चित करने के लिए एसएससी को मार्गदर्शन और सुविधा प्रदान करेगा कि कौशल लक्ष्य हासिल किए गए हैं।

श्री पांडे ने कहा कि कुल मिलाकर, यह पहल कुशल जनशक्ति का उत्पादन करेगी जो रक्षा, एयरोस्पेस, बिजली, मोटर वाहन, पूंजीगत सामान आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगी। ऐसी कुशल जनशक्ति भारत को एक आधुनिक, प्रौद्योगिकी बनने और युवा वैश्विक विनिर्माण महाशक्ति बनने के करीब ले जाएगी ।

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एमजी/एएम/केपी/वाईबी

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