डॉ. भारती प्रवीण पवार ने गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) – 2022 का शुभारंभ किया

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, डॉ भारती प्रवीण पवार ने आज मणिपुर के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सपम रंजन सिंह की उपस्थिति में गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) – 2022 का शुभारंभ किया। आईडीसीएफ कार्यक्रम आज 13 जून से 27 जून, 2022 तक सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों  में लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम  का लक्ष्य बचपन में डायरिया के कारण बच्चों की मृत्यु को शून्य पर लाना है I

 

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में  राज्य मंत्री ने कहा कि “माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार के सराहनीय प्रयासों के परिणामस्वरूप, एसआरएस -2019 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार  देश में बाल मृत्यु दर में 2014 के बाद से काफी कमी आई है। यह दर 2014 में 45 प्रति 1000 जीवित जातकों से घटकर 2019 में 35 प्रति 1000 जीवित जातक हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि इसके बावजूद  आज भी  डायरिया से संबंधित बीमारियां पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का एक प्रमुख कारण बनी हुई हैं।

डॉ. पवार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “निर्जलीकरण बच्चों में डायरिया का सबसे बड़ा कारण है और अन्य कारणों में स्तनपान के दौरान मां के आहार में बदलाव, बच्चे के आहार में बदलाव, बच्चे द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग, या स्तनपान के दौरान मां द्वारा उपयोग, या किसी भी प्रकार के जीवाणु या परजीवी संक्रमण शामिल है।

रोकथाम और शमन विधियों के महत्व को बताते हुए डॉ. पवार ने कहा कि “मंत्रालय द्वारा किए गए नवीनतम सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के अनुसार, डायरिया से पीड़ित पांच वर्ष से कम आयु के केवल 60.6 प्रतिशत बच्चों को ओआरएस दिया गया और केवल 30.5% बच्चों को जिंक दिया गया। इसका मतलब है कि माताओं में जागरूकता की कमी है।” उन्होंने अधिक जागरूकता अभियानों पर जोर दिया ताकि डायरिया के कारण बाल मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाया जा सके।

इस दिशा में केंद्र सरकार के संकल्प और प्रतिबद्धता को नोट करते हुए उन्होंने कहा कि ‘बचपन में डायरिया से होने वाली मौतों की संख्या को शून्य पर लाने’ के उद्देश्य से 2014 से गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) का आयोजन किया जा रहा है। डायरिया की अधिकता को देखते हुए इस पखवाड़े का आयोजन विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु / वर्षा ऋतु के दौरान किया जाता है ताकि बचाव के उपाय किये जा सकें। उन्होंने आगे कहा कि ” बेहतर प्रभावों के लिए विभिन्न शासन स्तरों पर एक बहु-क्षेत्रीय भागीदारी दृष्टिकोण से बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करने, रैलियों, स्कूलों में प्रतियोगिताओं, नेताओं द्वारा राज्य और जिला स्तर पर अभियान हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में लाभदायक  होगा।” डॉ. पवार ने कहा कि स्वच्छ पेयजल, स्तनपान/उचित पोषण, स्वच्छता और हाथ धोने जैसे स्वच्छता उपायों के माध्यम से डायरिया को रोका जा सकता है। स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहलों के माध्यम से भी इस पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन छोटे व्यवहार परिवर्तनों ने शिशु मृत्यु दर को कम करने में भारत की काफी मदद की है।

आईडीसीएफ में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डायरिया से निर्जलीकरण के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए गहन तरीके से क्रियान्वित की जाने वाली गतिविधियों का एक समूह शामिल है। इन गतिविधियों में मुख्य रूप से डायरिया प्रबंधन के लिए पक्षधरता और जागरूकता पैदा करने की गतिविधियों को तेज करना, डायरिया केस प्रबंधन के लिए सेवा प्रावधान को मजबूत करना, ओआरएस-जिंक कॉर्नर की स्थापना, पांच साल से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में आशा द्वारा ओआरएस की तैयारी और स्वच्छता और स्वच्छता के लिए जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियाँ शामिल हैं। .

आईडीसीएफ कार्यक्रम के तहत मुख्य गतिविधियों में से एक आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित क्षेत्र कार्यकर्ताओं की गतिविधियां रही हैं। क्षेत्रीय कार्यकर्ता पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों के घरों का दौरा करते हैं और डायरिया के मामले में जस्ता और ओआरएस पाउच के वितरण के लिए परामर्श प्रदान करते हैं। वे स्वच्छता प्रथाओं, स्तनपान प्रथाओं को भी बढ़ावा देते हैं और माताओं के बीच समूह बैठकों के माध्यम से ओआरएस तैयार करने की विधि पर सलाह देते हैं।

इस बैठक में स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण,  अपर सचिव सुश्री रोली सिंह, संयुक्त सचिव  श्री पी. अशोक बाबू,मणिपुर सरकार में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण श्री वी. वुमलुनमंग तथा  मणिपुर और विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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एमजी/एमए/एसटी

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