भारत विश्व समुदाय को आश्वासन देता है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपनी भूमि, जल और महासागरों के कम से कम 30% भाग की रक्षा करने और 2030 तक 30X30 की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है

   भारत ने आज विश्व समुदाय को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में वह कम से कम 30% “हमारी” भूमि, जल और महासागरों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार 2030 तक 30X30 की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करता है।

लिस्बन में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में भारत की ओर से वक्तव्य देते हुए, भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में, सीओपी संकल्पों के अनुसार मिशन मोड में 30×30 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि वह यहां संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दुनिया के सामने समुद्र और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा पोषण के लिए श्री मोदी के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए आए हैं।

 

यह याद किया जाना चाहिए कि भारत प्रकृति और लोगों के लिए उस उच्च महत्वाकांक्षी गठबंधन में शामिल हो गया, जिसे जनवरी 2021 में पेरिस में “एक ग्रह सम्मेलन (वन प्लैनेट समिट)” में शुरू किया गया था और जिसका उद्देश्य विश्व की कम से कम 30% भूमि एवं महासागरों की रक्षा के लिए वर्ष 2030 तक एक अंतरराष्ट्रीय समझौते को बढ़ावा देना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस 5 दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने वाले 130 से अधिक देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि भारत साझेदारी और पर्यावरण के अनुकूल समाधानों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 14 के कार्यान्वयन के लिए विज्ञान और नवाचार आधारित समाधान भी प्रदान करेगा। लक्ष्य 14 महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए कहा गया है। “लक्ष्य 14 के कार्यान्वयन के लिए विज्ञान और नवोन्मेष पर आधारित महासागरीय कार्रवाई को बढ़ाना: अब तक की कार्यवाही का लेखा-जोखा लेने (स्टॉकटेकिंग), साझेदारी और समाधान” सम्मेलन के विषय पर ध्यान केंद्रित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि भारत सतत विकास लक्ष्य -14 को प्राप्त करने के लिए ऐसे हर संभव उपाय करेगा, जो जल के भीतर जीवन के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों का समाधान करते हों। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने महासागरीय एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ्स) की रक्षा के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से कई पहल, कार्यक्रम और नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत “स्वच्छ तटीय समुद्र अभियान” के लिए प्रतिबद्ध है और हमने यह घोषणा की है कि भारत जल्द ही एकल उपयोग प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा लेगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक /पॉलीइथाइलीन की थैलियों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना और कपास / पटसन (जूट) के कपड़े के थैलों के उपयोग जैसे विकल्पों को बढ़ावा देना इसके सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है। मंत्री महोदय ने कहा कि एक राष्ट्रीय नीति तैयार करने के एक हिस्से के रूप में विभिन्न मापदंडों (मैट्रिक्स) जैसे तटीय जल, तलछट, क्षेत्र विशेष में व्याप्त जीवनतन्त्र (बायोटा) और समुद्र तटों में समुद्री अपशिष्ट पर वैज्ञानिक डेटा तथा जानकारी एकत्र करने के लिए अनुसंधान पहले ही शुरू हो चुका है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने अगले दशक के लिए अपने विचारों को सबके सामने रख दिया है, जिससे 2030 तक भारत के विकास के दस सबसे महत्वपूर्ण आयामों को सूचीबद्ध कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत सरकार अपनी समुद्र क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था नीति – नीली अर्थव्यवस्था नीति (ब्लू इकोनॉमिक पालिसी) को अनावृत्त करने की प्रक्रिया में है। गहरे महासागरीय अभियान (डीप ओशन मिशन) को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा छह विषयगत क्षेत्रों के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें जलवायु का लचीलापन, गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और उसके संरक्षण, महासागर के दोहन के लिए संसाधन और क्षमता निर्माण हेतु प्रौद्योगिकियों के विकास को आगे बढाने के लिए महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास करना शामिल है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सदस्य देशों को बताया कि भारत ने सतत विकास लक्ष्य संकेतकों (एसडीजी इंडीकेटर्स) पर कार्यप्रणाली तथा डेटा अंतराल को पाटने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों एवं अनुसंधान संस्थानों के साथ सहयोग और साझेदारी की है तथा अब वह स्वस्थ, उत्पादक और भविष्य में सुरक्षित एवं सुलभ महासागरों हेतु सतत विकास, 2021-2030 के लिए संयुक्त राष्ट्र महासागर विज्ञान के दशक की दिशा में काम कर रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि भारत एकीकृत महासागर प्रबंधन के क्षेत्रों में कई देशों के साथ साझेदारी करने के साथ ही पारिस्थितिक तंत्र के सतत विकास और संरक्षण के लिए समुद्री स्थानिक योजनाओं की रूपरेखा भी तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने प्रशांत द्वीप देशों (पीआईसी) की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सतत तटीय और महासागर अनुसंधान संस्थान (एससीओआरआई) की स्थापना करने का प्रस्ताव भी किया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन के सह-मेजबान पुर्तगाल और केन्या को धन्यवाद दिया तथा कोविड -19 महामारी से निपटने के बाद इस महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्य पर सामयिक  कार्रवाई के लिए समर्थन जुटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र अध्यक्ष द्वारा उठाए गए आवश्यक कदम की भी सराहना की।

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